abhivainjana


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Saturday 1 July 2017

यश गान हो


फूलों से मुस्काता उद्यान हो

प्रेम का जहाँ मधु रस पान हो

न मज़हब की कही बात हो

 धर्म हर इंसान का इंसान हो

 लिख दूँ लहू से वो गीत अमर

जिस पर माँ तुझे अभिमान हो

 हर हाथ में फहराएं पंचम तेरा

हर तरफ़ तेरा ही यश गान हो

             जय हिंद


         म कनेरी